धम्म दान क्या है इन हिंदी Dhamm Kya Hai in Hindi धम्म की शुरुआत किसने की थी धम्म का स्वरूप क्या है इस लेख में धम्म दान के बारे में विस्तार से बताया गया । बुद्ध धम्म में को मानने वाले लोगों को इस लेख को पढ़कर धम्म दान का पता चल जाएगा
धम्म दान क्या है
Dhamm Kya Hai : धम्म मतलब सामाजिक क्रांति सामाजिक बंधुत्व। धम्म का अर्थ ही सदाचरण है। जिसका अर्थ है, जीवन के सभी क्षेत्रों में एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ अच्छा संबंध। और धम्मदान का अर्थ है धम्म बताना, धम्मपोद देना। प्रकृति के नियमों की व्याख्या करना ।
- बिना स्वार्थ प्रतिफल की अपेक्षा की दूसरों के कल्याण के लिए अपने धन,
- रक्त और मांस का दान देना परोपकार है।
- जरूरतमंदों और गरीबों की पीड़ा को दूर करने और सभी लोगों के
- कल्याण को बढ़ावा देने के लिए दान आवश्यक है।
- दान में नेत्रदान, शरीर दान रक्तदान अंग भी शामिल है।
- दान का स्वीकारकर्ता होना चाहिए। देने की भावना उद्देश्य पूर्ण होना चाहिए
“दानं ददन्तु सद्धाय,सीलं रक्खन्तु सब्बदा ।
भावना भिरता होन्तु,एतं बुद्धानु सासनं” ।।
श्रद्धा पूर्वक दान करो,सर्वदा शील का पालन करो । ध्यान (भावना) में रत रहो, यही बौद्धों की शिक्षा हैं।।
धम्म दान बौद्ध शास्त्रों में दान और शीला – धम्म दान क्या है इन हिंदी
बौद्ध शास्त्रों में दान और शील – सदाचार की बडी महिमा की गई हैं। शील – सदाचार की सुगंध श्रेष्ठ हैं। घम्मपद के पुप्फ वर्ग में गाथा हैं –
” चन्दनं तगरं वापि, उप्पलं अथ वस्सिकी ।
एतेसं गन्धजातानं, सीलगन्धो अनुत्तरो ।।
“अर्थात चंदन और तगर की गंध, कमल और चमेली की गंध – इन भिन्न-भिन्न सुगंधियों से शील की गंध अधिक श्रेष्ठ हैं। शील – सदाचार ही बुद्ध धम्म की नींव हैं। इस नींव को बनाये रखने, मजबुत करने में, कायम रखने में दान का महत्वपूर्ण स्थान हैं। बिना दान दिये धम्म आगे बढ़ नहीं सकता हैं। दान का अर्थ हैं देना याने अपनी वस्तु का स्वत्व त्याग कर दूसरे को देना।
दान के तीन उपकरण हैं या नहीं
दान के तीन उपकरण हैं :धम्म दान क्या है की पूरी जानकारी
- (इच्छा) दान की चेतना
- दान की वस्तु और
- दान का लेने वाला
अनेक प्रकार के दान हैं, इसमें धम्म का दान श्रेष्ठ हैं। धम्मपद के तण्हा वग्ग में कहा हैं- “सब्बदानं धम्मदानं जिनाति” – धम्म का दान सब दानों को जीत लेता हैं अर्थात धम्म का दान सब दानों में श्रेष्ठ हैं
दान तीन प्रकार के होते हैं
- अमीश दान –
अमित धान का अर्थ है धन कपड़े दवाईया और कुछ महत्वपूर्ण आवश्यक वस्तुओं का दान करना।
- अभयदान-
अभय दान में प्रेम, समय, आशीर्वाद सुरक्षा अर्थात अभयदान अदृश्य दान है।
- धम्मदान –
धम्मदान का अर्थ है सही रास्ता दिखाना, उचित सलाह , उचित ज्ञान देना, समय पर साथ देना और प्राकृतिक नियमों का व्याख्या करना। धम्मदान किसी के पूरे जीवन को बेहतर बनाता है यह दान सबसे अच्छा दान है।
एक बौद्ध उपासक को धन, समाग्री, कपड़े, रक्त और शरीर अंग दान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। किसी वस्तु के बदले में दिया गया दान केवल दान ही नहीं बल्कि सुख, स्वर्ग और धन है।
- जो लोग पाप से छुटकारा पाने की लिए दान करते हैं वे दान नहीं है।
- समाज को दान देना हमारा कर्तव्य है क्योंकि हमने जो कमाया है
- उसमें समाज अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है।
दूसरों के कल्याण के लिए देना सीखो ।दान देते समय दाता को बदले में प्राप्तकर्ता से कुछ भी उम्मीद नहीं करना चाहिए।
दान देने वाले तीन प्रकार के होते हैं
- पहला दानदास,
- दूसरा दानसहाय और
- तीसरा दानपति
निर्वाण की इच्छा रखने वाले को शील, समाधि और प्रज्ञा के पथ पर अग्रसर होकर दान देना ही श्रेयकर है। धम्म दान महाफलदायी दान है।
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