औरत की नमाज का तरीका Aurat Ki Namaz Ka Tarika Pictures: मेरी प्यारी प्यारी बहनों इस्लाम में मर्द और औरत दोनों के लिए पांच वक्त की नमाज पढ़ने का हुक्म है लेकिन बहुत से लड़की/औरत को नमाज पढ़ना नहीं आता या फिर नमाज पढ़ने का तरीका भूल जाते है अगर ऐसा है तो यह लेख ख़ास आपके लिए लिए लिखा जा रहा है औरत/लड़की नमाज कैसे पढ़े आइये जाने?
औरत की नमाज का तरीका
नमाज औरत की हो या मर्द की दोनों में कोई ख़ास फर्क नहीं है नमाज पढ़ने का तरीका महिला/लड़की/औरत/मर्द/आदमी सबके लिए एक जैसा है लेकिन औरत की नमाज में कुछ बारीकी अंतर जरुर है जो इस लेख Aurat Ki Namaz Ka Tarika Pictures में अच्छे से समझाने की कोशिश की है
नमाज की शर्ते
- अगर आप नमाज पढ़ने जा रहे है तो बदन का पाक होनाबेहद जरुरी है
- इसलिए नमाज पढ़ने से पहले गुसल/गुस्ल करें
- मर्द और औरत दोनों ही नमाज से पहले वुजू जरुर करें
- जिस स्थान/जगह पर नमाज पढ़ने जा रहे है उसका साफ़ होना बेहद जरुरी है
- सतर का छुपा होना नमाज की नियत बाँधने से पहले ध्यान जरुर दें
- बावुजू नमाज की नियत क़िबला रुख/मुख होकर करें
औरत की नमाज का तरीका Aurat Ki Namaz Ka Tarika
Aurat Ki Namaz Ka Tarika: नमाज का तरीका बहुत ही आसान है कुछ सूरह और दुआ याद कर लिए जाएँ तो बहुत ही आसानी से मर्द औरत दोनों ही नमाज पढ़ सकते है:-
1. नमाज का तरीका
- औरत की नमाज का तरीका वही है जो मर्द की नमाज का तरीका है
- सबसे पहले बावुजू क़िबला रुख/मुख करके खड़ा हो जाएँ
- उसके बाद जिस नमाज का वक्त है उस वक्त की नमाज की नियत करें जैसे फज्र/जुहूर/असर/मगरिब/ईशा
- 2 रकआत फज्र सुन्नत नमाज की नियत: “नियत की मैंने दो रकअत नमाज फज्र की, सुन्नत रसूल पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ” “अल्लाहु अकबर”
- “अल्लाहु अकबर” कहते समय दोनों हाथ को औरत कंधे तक उठाएंगी कुछ इस तरह की दोनों हाथ चादर से बाहर न निकले और
- उंगलिया मिली हुई न हो और ज्यादा फैली हुई भी न हो
- साथ ही हथेली को किबला के रुख करना है
- दाहिना हथेली, बाएं हथेली के ऊपर होना चाहिए
- हाथो को सीने पर, छाती के नीचे रख कर बाँध लेना चाहिए
2. नमाज का तरीका
- इसके बाद औरत नमाज में सना, तअव्जुज तस्मिया, सूरह फातिहा, सूरह इखलास पढ़े
- सना: सुबहा-न-कल्लाहम्म व् बि हम्दी- क व तबा-र-कस्मु-क व् तआला जद्दु-क व् ला इला-ह-गेरू-क
- तअव्जुज तस्मिया: अऊजु बिल्लाह मिनश-शैतानीर-रजीम, बिस्मिल्लाहिर्रहूमानीर्रहीम
- सूरह फातिहा: अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
- अर्रहमान निर्रहीम. मालिकी यौमेद्दीन
- इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन
- इहदिनस सिरातल मुस्तकीम
- सिरातल लजिना अन अमता
- अलैहिम गैरिल मग्ज़ुबी अलैहिम
- वलज्जाल्लीन”- आमीन
- सूरह इखलास: कुल हुवल लाहू अहद अल्लाहुस समद लम यलिद वलम यूलद वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
- अब “अल्लाहु अकबर” कहते हुए रुकूअ में चले जाना है
- रुकअ में इतना ही झुके की दोनों हाथ घुटने पर आ जाए और बहुत जोर घुटने पर न दे
- इसके बाद रुकूअ में “सुबहा-न-रब्बियल अजीम” 3 मर्तबा पढ़े
- इसके बाद “समिअल्लाहु लीमन् हमिदह रब्बना लकलहम्द” कहते हुए खड़े हो जाएँ …..अगला भाग अगले पेज पर